नवजात अवधि में, औषधि विषालुता (ठोद्चिट्य् फेरिओड्) एन्जाइमी और चयापचयी (एन्ॅय्मिच् अन्ड् मेटबोलिच्) कार्यों के परिसीमन (लिमिटटिओन्स्) के साथ-साथ परिवर्धन अपरिपक्वता (डेवेलोप्-~ मेन्टल् इम्मटुरिट्य्) के फलस्वरुप नवजातशिशुओं को इतनी मात्राओं में भी, जो बड़े, बच्चों को देने से अनुपाततः अहानिकारकहोती है, दी जानेवाली औषधियों के विषैलें (टोदिच्) प्रभाव के प्रति सुग्राहिता (सेन्सिटिविट्य्) बढ़ जाती है.